जमुई, कोरोना काल से निपटने के लिए कई समाजसेवी वर्ग और संस्थान ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, जिसमें जीविका दीदीयों की भूमिका कभी कमतर नहीं आंकी जा सकती. पर विडंबना यह है कि उनकी मेहनत का मूल्य अदा करना भी नगर परिषद को मुश्किल जान पड रहा है. मसला है दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन द्वारा संचालित नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत बने स्वयं सहायता समूह तथा एएलओ के मेहनत कश गरीब दीदीयों के मेहनत का मूल्य चुकाने का जिन्हें अभी तक कोई मेहनतना नहीं दिया गया है, बल्कि नगर परिषद के अधिकारी द्वारा उल्टे अभद्र व्यवहार किया जाता है. विदित हो कि नगर विकास एवं आवास विभाग बिहार सरकार द्वारा जून महीने में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव हेतु नगर परिषद क्षेत्र के फुटपाथी विक्रेताओं ,रिक्शा चालकों, वेंडर, सफाई कर्मियों आदि के बीच 2975 साबुन तथा 11900 मास्क जीविका दीदियों तथा एनयूएलएल के द्वारा 10 जून से 25 जून 2020 तक वितरण का निष्पादन किया गया था. हालांकि इसका जिक्र वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी डॉ जनार्दन प्रसाद वर्मा के पत्रांक 1136 दिनांक 15 /06/2020 के आलोक में किया गया था. इसके तहत शहरी क्षेत्र की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गरीब महिलाएं अपनी बचत राशि का पैसा जुगाड़ कर खादी के कपड़ों से स्वनिर्मित मास्क बनाकर 22/06/2020 तक नगर परिषद को सुपुर्द कर दिया था. परंतु माह बीत जाने पर भी कोरोना काल के घोर आर्थिक संकट में भी उन्हें उनका वास्तविक हक नहीं दिया गया. जिलाधिकारी महोदय से मिलने आई जीविका दीदियों का आरोप है कि जो मास्क ₹15 दर से बनाने को कहा गया था अब परिषद के चेयरमैन के पति हिस्सा मांगा जा रहा है यही नहीं बल्कि उनके साथ अभद्र शब्द का भी इस्तेमाल हो रहा है. जिला समाहरणालय में पहुंची जीविका दीदियों ने जिलाधिकारी महोदय से भी इस बारे में चर्चा की है जिन्हें जिलाधिकारी द्वारा आश्वासन दिया गया है देखा जाए वास्तविकता क्या होता है.
मुकेश कुमार पासवान की रिपोर्ट