जमुई,एक तरफ जहां नालंदा का सोनू पुरे सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री से सवाल पूछ कर वायरल हो गया. उसकी पढ़ाई में मदद के लिए लोगों का उसके घर पर तांता लगना शुरू हो गया. दर्जनों हाथ उसकी मदद को आगे आ गए. वही दूसरी तरफ जमुई की सीमा की पढ़ने की ललक को देखकर आप भी अचंभित हो जाएंगे. 10 वर्षीय सीमा की 2 साल पहले एक दुर्घटना में अपनी एक पैर गवानी पड़ी थी. बिना संसाधन के वह अपने एक पैर से चलकर घर से 500 मीटर दूर स्कूल पढ़ने को जाती है. सीमा आगे चलकर पढ़ाई कर शिक्षक बनकर समाज को शिक्षित करना चाहती है. वो आज अपने गांव में लड़कियों के शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति एक मिसाल कायम कर रही है. वह अपने एक पैर से चलकर खुद स्कूल पहुंचती है.
जिले के खैरा प्रखण्ड अंतर्गत नक्सल प्रभावित इलाक़ा फतेपुर गॉव की सीमा के पिता खिरन मांझी परदेश में मजदूरी का कर अपने परिवार का भरण पोषण करता है. सीमा की माँ बेबी देवी बताती है कि 6 बच्चों में सीमा दूसरे नम्बर पर है. जिसकी एक पैर दुर्घटना में कटाना पड़ा था. सीमा की माँ बताती है कि दुर्घटना के बाद सीमा गाँव के दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देखकर सीमा की इच्छा स्कूल जाने का होने लगा. सिमा खुद से ही स्कूल जा के स्कूल टीचर से पढने की लालसा जताई.
स्कूल के टीचर ने सीमा की एडमिशन स्कूल में कर दिया। आज सिमा हर दिन 500 मीटर पगडंडी पर अपने एक पैर से चलकर स्कूल जाती है।सीमा बताती है कि एक पैर कट जाने के बाद अब एक पैर खोने का कोई गम नहीं है। मैं एक पैर से ही अपने सारे काम कर लेती हूं।सीमा के हौसले को देखकर गांव के लोग भी दांतो तले उंगली दबा लेते हैं. गांव वाले कहते हैं कि सीमा अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी आत्मविश्वास से भरी हुई लड़की है.उसकी इस हौसले को देखकर गांव के लोग भी आश्चर्य चकित है.
कुमार नेहरू की रिपोर्ट