जमुई, दीपों का पर्व यानि दीपावली। दीपावली में बिना दिए के सुना माना जाता है। पहले के समय में लोग अपने घरों में कोई 1000 कोई 500 दीए जलाकर अपने घर को जगमग किया करते थे, लेकिन चाइनीज लाइट आने के बाद लोगों ने दीए की जगह चाइनीज लाइट से दीपावली में अपना घर जगमगाना शुरू कर दिया. इससे हमारी अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। चाइनीस सामानों का बहिष्कार शुरू से भारतवर्ष की जनता और स्वयंसेवी संगठन उठाते रहे हैं,लेकिन फिर भी लोग दीपावली आते आते चाइना का विरोध और चाइनीज प्रोडक्ट का बहिष्कार दोनों भूल जाते हैं।
लेकिन इस बार जमुई में लोग काफी जागरूक हैं और जमकर मिट्टी के दीए की खरीदारी कर रहे हैं। जमुई में मिट्टी के दीए बेचने वालों के पास भीड़ देखी जा सकती है। स्थानीय लोग एवं गांव से आने वाले भी लोग जमकर कुमहार द्वारा बनाए मिट्टी के दिए कलश आदि मिट्टी निर्मित सामानों की खरीदारी कर रहे हैं।
आपको बता दें कि चाइनीज झालर लाइट की अपेक्षा मिट्टी के दीए पर्यावरण अनुकूल होता है।एक्सपर्ट का कहना है कि चाइनीज एलइडी लाइट से अल्ट्रा वायलेट रेज निकलता है। यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है। एलईडी से रेटिना को नुकसान होता है। इसलिए अब अल्ट्रा वायलेट प्रोटेक्टेड ग्लास बनती है। चाइनीज लेड लाइट से आंखों में जलन हो सकती है। ज्यादा देर तक उस लाइट में रहने से सिरदर्द की शिकायत आम है। लोगों को चाइनीज लाइट से परहेज करना चाहिए। तो इस दिवाली जमुई टुडे आप से अपील करता है कि आप भी चाइनीज एलइडी लाइट की जगह मिट्टी के दीए जलाएं अपने पर्यावरण स्वास्थ्य और देश की अर्थव्यवस्था बनाए रखने में सहयोग दें। कुम्हार समाज आज भी गरीबी में जी रही है, उनके बनाए दिए खरीद कर उनको प्रोत्साहित करें और भारतीय परंपरा को कायम रखने में सहयोग दें।
कुमार नेहरू की रिपोर्ट