गलवां घाटी में 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय वीर जवानों के शहीद होने के बाद देश में चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. भारत सरकार ने चीनी समान को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने देश भर में 4G क्रियान्वयन के लिए इस्तेमाल होने वाले वाले चीनी उपकरण पर रोक लगा दी है.रोक के लिए सरकार ने संचार विभाग और सरकारी टेलीकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल को भी निर्देश दे दिए हैं.
इसके अलावा सरकार निजी कंपनियों के ऑपरेटरों को भी यह निर्देश देने के लिए कदम उठा रही है, ताकि चीन के उपकरणों पर उनकी निर्भरता को कम किया जा सके।
इससे पहले इंटेलिजेंस एजेंसी 52 चीनी मोबाइल ऐप को लेकर सरकार को अलर्ट जारी किया था. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर में बताया गया है,भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से कहा है कि या तो चीन से जुड़े 52 मोबाइल एप्लिकेशन को ब्लॉक कर दिया जाए या लोगों को इनका इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाए, क्योंकि इनका इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है.ये ऐप बड़े पैमाने पर डेटा को भारत से बाहर भेज रहे हैं.
सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को जो लिस्ट भेजी है उसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप जूम, टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, एक्सएंडर, शेयर इट और क्लीन मास्टर जैसे एप शामिल हैं.
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इस साल अप्रैल में गृह मंत्रालय ने जूम के इस्तेमाल को लेकर एक अडवाइजरी जारी की थी. मंत्रालय ने यह अडवाइजरी नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम इंडिया (CERT-in) के प्रस्ताव पर जारी की थी. भारत पहला देश नहीं है जिसने सरकार में जूम एप के इस्तेमाल पर रोक लगाई. इससे पहले ताइवान ने भी सरकारी एजेंसियों को जूम एप के इस्तेमाल से रोक दिया. जर्मनी और अमेरिका भी ऐसा ही कर चुके हैं. कंपनी ने गृह मंत्रालय की अडवाइजरी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह यूजर्स की सिक्यॉरिटी को लेकर गंभीर है.
चीन से जुड़े हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को लेकर पश्चिमी देशों की सुरक्षा एजेंसियां भी इसी तरह की चिंता जता चुकी हैं. एक तर्क यह भी दिया जाता है कि युद्ध की स्थिति में इनके जरिए कम्युनिकेशन सर्विसेज को नुकसान पहुंचा सकता है.
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