जमुई,भाकपा माले का राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत आज खैरा प्रखंड अंतर्गत माँगोबन्दर पंचायत में विरोध प्रदर्शन किया गया. इस प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा माले शाखा कमिटि के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने किया. प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ता ने जमकर नारे बाजी किया. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्त की किया तथा कोरोना की व्यापक जांच और इलाज की गारंटी की मांग. एवं कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर कहा,तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक कोरोना की जांच व इलाज का प्रबंध करो। तमाम अनुमंडल व जिला अस्पतालों में आईसीयू की व्यवस्था करो। जनता में मुफ्त मास्क, सैनिटाइजर व साबून वितरित करो.
वही मौके पर उपस्थित आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष बाबू साहब ने कहा कि फिर से लगे लॉकडाउन ने पहले ही से रोजी – रोटी खो चुके मेहनतकश आम – अवाम के सामने विपत्ति का पहाड़ खड़ा कर दिया है। भारी वर्षा से कई जिलों के लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। जान बचाने के लिए वे बांध आदि जगहों पर बड़ी संख्या में आ गए हैं। इससे बाढ़ पीड़ितों में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है। घोषणा बाजी में सरकार पीछे नहीं है। लेकिन, कोरोना के नाम पर खूब लूट चल रही है। जनता में मुफ्त मास्क, सैनिटाइजर व साबुन का वितरण लापता है। मुफ्त बांटने की बजाय सैनिटाइजर पर 18% जीएसटी लगा दिया गया है। इसी तरह मास्क बांटने की बजाय बिना मास्क वाले राहगीरों से जुर्माना वसूला जा रहा है। पूंजीपतियों से पैसा वसूलने की बजाय लुट पिट चुकी जनता की ही जेब काटने में सरकार लगी हुई है।वही आगे उन्होंने कहा कि बिहार में जांच देश के 19 राज्यों में सबसे कम है। काफी थू – थू होने पर अनुमंडल अस्पताल में जांच की व्यवस्था की घोषणा की गई है। इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक विस्तारित करने की बात भी सरकार ने की है। इसे लागू करने के लिए सरकार की घेराबंदी जरूरी है। अन्यथा यह भी महज घोषणा बाजी बनकर रह जाएगी। तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्राथमिक इलाज की भी ठोस व्यवस्था जरूरी है।
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बीमारी का फैलाव देखते हुए तमाम अनुमंडल और जिला अस्पतालों में कोरोना के बेहतर इलाज और आईसीयू की व्यवस्था होनी चाहिए। इसी तरह, सिर्फ मेडिकल कॉलेज के लिए जिलों को बांट देने से काम नहीं चलेगा। तमाम मेडिकल कॉलेजों में आईसीयू बेड की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी की जरूरत है। निजी अस्पताल में भी इलाज की घोषणा की गई है। लेकिन इसका खर्च बीमार को खुद उठाना पड़ेगा। यह एकदम से अन्यायपूर्ण फैसला है। जरूरत इस बात की है कि महामारी की विकराल होती जा रही, स्थिति के मद्देनजर तमाम निजी अस्पतालों को सरकार अपने नियंत्रण में ले और वहां सरकारी खर्च पर कोरोना के इलाज की व्यवस्था करे। महागठबंधन वाले कुछ समय को छोड़ दिया जाए तो बिहार में विगत 15 वर्षों से भाजपा के हाथ में ही स्वास्थ्य विभाग है। आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी बिहार के ही हैं। बावजूद इसके बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा सबों के सामने है। नकारा स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्त किए बगैर स्वास्थ्य व्यवस्था में कुछ भी सुधार की उम्मीद पालना बेमानी है।वही मौके पर प्रबीन पाण्डे, सरदार मोदी,राजेश रविदास,चंद्र शेखर सिंह, पप्पू दास,संजय रविदास, उपेन्द्र दास, जगरनाथ रविदास,सुनील विष्वकर्मा, सुबोध साह, रवि कुमार,जुगल माझी,शांति देवी सहित दर्जनों लोगों उपस्थित थे.
संवाददाता मुकेश कुमार पासवान की रिपोर्ट