बिहार के बक्सर क्वारनटीन सेंटर से अनोखा मामला सामने आया है जहां क्वारनटीन सेंटर में रह रहे एक युवक की भूख ने सबको हैरत में डाल दिया तो वहीं क्वारनटीन सेंटर के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई. क्वारनटीन सेंटर को युवक के लिए भरपेट भोजन का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा था. युवक के लिए खाने का इंतजाम करना क्वारनटीन सेंटर की देखरेख में जुटे लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
युवक क्वारनटीन सेंटर में और इसके बाहर भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है जिसकी खुराक ने लोगों को चौंका दिया है. वह अकेले ही दस लोगों का खाना खा जाता है. उसकी नाश्ते की खुराक में 40 रोटी और कई प्लेट चावल होते हैं. युवक का नाम है अनूप ओझा जो मझवारी क्वारनटीन सेंटर में है.
सेंटर में रह रहे लोगों ने बताया कि तीन-चार दिन पहले केंद्र पर लिट्टी-चोखा बना था और उस दिन वे 83 लिट्टी अकेले खा गए.बता दें कि अनूप के खाने की क्षमता क्वारंटाइन केंद्र में आने से पहले ही ऐसी है.अनूप के खाने को लेकर उनके गांव में भी खाने और पचाने की क्षमता के चर्चे होते थे. खरहाटांड़ पंचायत के मुखिया विजय कुमार ओझा ने बताया कि अनूप गांव पर भी कई बार शर्त लगा एक बार में करीब सौ समोसे खा जाते थे.
अनूप ओझा के ज्यादा मात्रा में खाना खाने की बात पर उस क्वारनटीन सेंटर के लोग बताते हैं कि क्वारनटीन सेंटर में जब खाना बनता है तो ज्यादातर खाना कम पड़ जाता है. अनूप अकेले कभी-कभी दस लोगों का कहना खा जाते हैं. जिसकी वजह से दोबारा खाना बनाने की मशक्कत करनी पड़ती थी. ऐसे लोग उनको दबी जुबान में क्वारनटीन सेंटर का कुंभकर्ण भी कहते हैं.
सिमरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परीक्षण के बाद उन्हें केंद्र में 14 दिनों के क्वारंटाइन किया गया है. केंद्र में 87 प्रवासी रह रहे हैं, लेकिन उन सभी में अनूप के लिए खाना बनाना यहां के देखरेख में जुटे लोगों के लिए बड़ी चुनौती है. केंद्र की व्यवस्था देख रहे मझवारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद कुमार साह ने बताया कि अनूप के लिए यहां विशेष व्यवस्था की जाती है. चावल में तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनके अकेले 30-35 रोटी खाने के कारण रोटी सेंकने वालों के भी पसीने छूट जाते हैं.
जानकारी के मुताबिक, अनूप एक सप्ताह पहले क्वारनटीन सेंटर आए थे. रोजी रोटी की तलाश में राजस्थान गए थे. लॉकडाउन लगने की वजह से घर वापस आए तो क्वारनटीन सेंटर में 14 दिन के लिए रख दिया गया. क्वारनटीन सेंटर में उनकी भूख के लिए खाने का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. बहरहाल अनूप ओझा की खाने की कहानी की चर्चा अब पूरे बक्सर के लिये कौतूहल का विषय बनी हुई है.