पारंपरिक वेशभूषा में झाल और मांदर पर थिरके आदिवासी समुदाय के लोग
चकाई,प्रखण्ड के आदिवासी बहुल इलाकों में सोहराय पर्व की धूम मची हुई है. आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रकृति पर्व सोहराय को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. पर्व के तीसरे दिन समाज की महिला व पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में मांदर की थाप पर खूब थिरके. इस दिन आदिवासी समाज के लोग मस्ती के रंग में सराबोर हो उठा. शेष दुनिया से बेखबर होकर आदिवासी समुदाय के पुरुष और महिला अपनी दुनिया में खोए रहे. पर्व का मुख्य आकर्षण तीसरा दिन स्त्री व पुरूष गाय को चुमावड़ा व बैल को खूंटे से बांधते हैं. बैल को फूल माला पहनाकर मांदर, नगाड़ा के साथ सभी लोग नाचते गाते हैं. ये लोग सामूहिक नृत्य करते हुए एक दूसरे के घर पहुंचे. मांदर की थाप पर स्त्री व पुरूष भाव विभोर होकर नृत्य करते हैं.
इस दिन पूरा गांव मस्ती के रंग में सराबोर हो उठता है. सोहराय पर्व में ईश्वर से कामना की जाती है कि उन्हें प्राकृतिक प्रकोप से रक्षा की जाय. वस्तुत: यह पर्व अपनों की कुशलता व प्रकृति की अराधना के लिए मनाया जाता है.इसके लिए अपने इष्टदेव मारांग बुरू से गलती के लिए क्षमा मांगी जाती है.
विकास कुमार लहेरी की रिपोर्ट