जमुई भरी दुपहरी ठंड और बारिश के मौसम में काफी मेहनत मशक्कत के बाद किसान खेत में अपनी फसल उगाता है. अगर कोई आपदा आ जाए तो उनके लिए जीने मरने का सवाल हो जाता है. घटना सिकंदरा प्रखंड अंतर्गत मिर्चा- पाठकचक पंचायत के पाठकचक निवासी रैयत भूषण सिंह, पिता स्वर्गीय ज्वाला सिंह के धान से भरी पुंज में आग लग जाने से किसान को काफी नुकसान हुआ. भूषण सिंह के जमीन को बटाईदार मुन्नी साव, पिता मिश्री साव के द्वारा खेती की गई थी. दिन के लगभग 11:00 बजे अचानक आग की लपटें को देखकर किसान हाहाकार मचाते हुए अपने खलिहान की ओर दौड़ पड़े.
भय तो यह था कि अगल बगल के खलिहान में इस आग की तपिश ना पहुंच जाए और खलिहान में लगी हुई धान की और पुंज में यह आग नुकसान ना पहुंचा दें, लेकिन संयोगवश अपर क्युल जलाशय के मंजोष नहर में आज की रात ही पानी छोड़ा गया था, जिससे आनन-फानन में किसानों द्वारा आग पर काबू पाया गया.अन्यथा वहां पांच- छः और पूंज में आग लग सकती थी.अग्निशामक विभाग द्वारा समय पर ना पहुंच कर काफी देर से पहुंची, लेकिन उस खलिहान तक गाड़ी को पहुंचने का कोई भी मार्ग उपलब्ध नहीं था,तब तक किसानों द्वारा नहर के पानी के उपयोग से आग पर काबू पा लिया गया था.
बटाईदार मुनि साव ने रोते हुए बताया कि धान से भरी पुंज लगभग 8000 नेवारी का था और उसी के बगल में 7000 का खाली नेवारी का पूंज था, जो दोनों जलकर राख हो गया। मुनि साव के अनुसार 60 से 70 मन धान का नुकसान हुआ जिससे कि उसके परिवार के साथ- साथ जानवर को भी भूखे मरने की नौबत आ गई और साथ ही 1 साल की मेहनत पर पानी फिर गया। अब देखना है कि सरकार द्वारा इस बटाईदार और रैयत को क्या सहायता प्रदान करती है. खेती और किसान मुंशी साव के लिए यह किसी आपदा से कम नहीं है.
अवधेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
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