जमुई/चकाई प्रखंड में पति की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए महिलाओं ने वट सावित्री की गुरुवार को पूजा की।कथावाचक मनोज पांडेय ने महिला श्रद्धालु भक्तों को वट सावित्री की कथा सुनायी। बताया कि वट वृक्ष में कलश स्थापना कर सर्वप्रथम गणेश पूजा, नवग्रहों की पूजा, सती सतावन एवं वट सावित्री की पूजा की जाती है.फल फूल एवं श्रृंगार के समान अर्पित किए जाते हैं.सुहागिन महिलाएं मौली धागा से वट वृक्ष के परिक्रमा करती है तथा अपने पति एवं संतानों की लंबी आयु की कामना करती है.पंडित मनोज पांडेय ने बताया कि वट वृक्ष के जड़ की पूजा भगवान ब्रह्मा जी के स्वरूप के रूप में किया जाता है.मौली धागा से वृक्ष की तने को लपेटते हुए परिक्रमा भगवान विष्णु के लिए की जाती है.वटवृक्ष के पत्तों को भगवान शंकर का स्वरूप मानकर सुहागिन महिलाएं पत्तों से अपने पति पर डोलाती है. पैर छूकर अपने पति से आशीर्वाद लेती है. पंडित ने पूरी कथा सुनाने के बाद कहा कि सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं उत्तम स्वास्थ्य की कामना के लिए परंपरागत तरीके से वट वृक्ष की सर्वत्र पूजन करती आ रही है.
प्रखंड के विभिन्न इलाकों में सुहागिनों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री पूजा धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ की गयी. इस दौरान सहाना कॉलनी,माधोपुर,बासुकीटांड़,सरौन,दुलमपुर, बेला, नगड़ी,लीलुडीह,खास चकाई, रामचंद्रडीह,हेठ चकाई सहित विभिन्न इलाकों में वट सावित्री की पूजा की गई.सावित्री सत्यवान की अमर कथा सुनी गयी.
विकास कुमार लहेरी की रिपोर्ट