चकाई/जमुई,बिहार-झारखंड की सीमा पर अवस्थित प्रखंड के चर्चित सरौन काली मंदिर का वार्षिक पुजनोत्सव मंगलवार को संपन्न हुआ। वार्षिक पूजनोत्सव के मौके पर सरौन काली मंदिर में आस्था का जनसैलाव उमड़ पड़ा। परिसर में वार्षिक पूजा को लेकर सुबह से ही श्रद्घालुओं का पुजा-अर्चना के लिए मंदिर में आने-जाने का तांता लगा रहा . समय बढ़ने के साथ श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ती गई. हालांकि पिछली बार की तरह इसबार भी वार्षिक पूजनोत्सव पर कोरोना का साया भारी पड़ा और मेले का आयोजन नहीं हुआ. पूजा अर्चना के साथ ही श्रद्घालुओं द्वारा अपनी मनौती के अनुसार बच्चों का मुंडन कराया गया.बकरे की बलि भी दी गई.बड़ी संख्या में श्रद्घालु बड़का आहर में स्नान कर माता के दरबार में दंड देते हुए पहुंचकर अपनी हाजरी लगाई और पूजा-अर्चना की.
बताते चलें कि चकाई प्रखंड मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दुरी पर सरौन गांव स्थित यह काली मंदिर वर्षों से लोगों की धार्मिक आस्था का केन्द्र बना हुआ है. इस मंदिर के वार्षिक पुजनोत्सव का अपनी अलग ही पहचान है.जहां आस-पास के दर्जनों गांवों में इस पुजा का महत्व दशहरा से अधिक है. वहीं दुर से आने वाले श्रद्धालुओं को वार्षिक पुजनोत्सव का इंतजार रहता है.वार्षिक पुजनोत्सव में भाग लेने बिहार,झारखंड, बंगाल के कई भागों से श्रद्धालु यहां पहुंचते है. जिससे यह अंतर्राज्यीय मेला भी कहलाता है. लेकिन कोरोना महामारी को लेकर मेला का आयोजन नहीं होने से लोग मायूस दिखे. वार्षिक पूजनोत्सव को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने के लिए पूजा कमिटी से जुड़े हरिकिशोर चौधरी, बंगटु यादव,विश्वनाथ राय, उदय यादव,विकास राय,पंचानन चौधरी, वृंदा राय, उमेश यादव,विशुनदेव राय, चंद्रदेव यादव,नरेश राय सहित अन्य लोग लगातार पुरी तत्परता से मौके पर जुटे हुए थे.
विकास कुमार लहेरी की रिपोर्ट