ओ मेरे साथियों!
अब संभाले संभला नहीं जाता
तालाबंदी से अच्छा तो आजकल जेल बंदी !
कभी आफिस,कभी दाल भात, कभी होम डिलीवरी, मास्क बगैरह
पर पहले जैसे गप्पे कोई नहीं करता
बस कहता लाॅकडाउन खत्म हो जाए।
लगता लाॅकडाउन खत्म होते ही सभी निकल पड़ेगे टूर पर।
संभलते संभलते सोचा अभी कोरोना,आंधी पानी, तो चल रहा
चैत्र वैशाख में लू,पतझड़ नहीं आंधी पानी,ठंडा,हरा भरा।
लगता इस बार संभले प्रकृति तो मुख मोड लिया।
लाॅकडाउन नहीं विपत्ति/आपत्ति लगता।
छोड़ दो बदल गया सब परिवेश।
लगता इस बार सरप्राइज होगा इगजाम ।
छोडो सब बातें खाने को क्या बना वेज या नान वेज।
वेज मजा नहीं आ रहा नहीं नहीं नान वेज है
वाह मजा आ गया कुछ ओर चाहिए ठाहका मार हाॅ हाॅ।
सब भुल गए सफाईकर्मी, डाक्टर,सहयोगकमी,समाजसेवी वो हो गये कोरोना वरियर।
संभलेगे ना अभी टेंशन लाॅकडाउन डिपेंशन/इपरेशन/इनोवेशन का।
अ आ सामाजिक दूरी बना के।
संभलो संभलो संभलो ……