Jamui -सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आधुनिक सुविधाओं के साथ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने बीते वर्ष सभी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सबमर्सिबल पंप लगाने का निर्देश दिया था। यह फैसला आगामी गर्मी को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, ताकि बच्चों को पेयजल की समस्या न हो। लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद बरहट के अधिकांश स्कूलों में यह योजना अधूरी पड़ी है।
बच्चों को नहीं मिल रहा शुद्ध पेयजल, घर से लाने को मजबूर
शिक्षा विभाग की इस योजना के तहत स्कूलों में बोरिंग कराकर सबमर्सिबल पंप और पानी की टंकी लगाई जानी थी। लेकिन हकीकत यह है कि कई स्कूलों में केवल बोरिंग कराकर छोड़ दिया गया तो कुछ में आधे-अधूरे काम के बावजूद राशि की निकासी कर ली गई। इसके चलते आज भी स्कूली बच्चे अपनी प्यास बुझाने के लिए घर से पानी लाने को मजबूर हैं।
जमुई टुडे की पड़ताल में हुआ खुलासा
गर्मी बढ़ते ही पानी की समस्या और गंभीर होती जा रही है। जमुई टुडे संवाददाता द्वारा सरकारी स्कूलों में किए गए पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
प्राथमिक विद्यालय केवाल: यहाँ बोरिंग कराकर मोटर तो लगा दिया गया। लेकिन मोटर को स्टार्ट करनें के स्टार्टर नहीं नहीं लगाई गई। जिससे टंकी में पानी नहीं चढ़ता।
प्राथमिक विद्यालय पमैया : यहाँ तो सिर्फ बोरिंग कराकर छोड़ दिया गया। कोई अन्य काम नहीं हुआ।
प्राथमिक विद्यालय जावातरी: यहाँ के हालात और भी खराब हैं। बच्चे आज भी अपनी प्यास बुझाने के लिए घर से पानी लाने को मजबूर हैं। स्कूल में बोरिंग तो कराई गई। लेकिन न मोटर लगाया गया और न पानी की टंकी।
प्राथमिक विद्यालय नुमर मुसहरी: इसी तरह प्राथमिक विद्यालय नुमर मुसहरी का भी हाल है। यहां तो संवेदक ने मानक के विपरीत मात्र 60 फीट बोरिंग कराया जो कि आधा अधूरा काम पड़ा हुआ है। योजना से राशि निकालने के लिए संवेदक प्रभारी प्रधानाध्यापक के पास बिल पर सिग्नेचर करने पहुंचा गया, किंतु वे मना कर दिया।
बता दें कि अन्य स्कूलों में भी यही हाल है। कई अन्य स्कूलों में भी योजना का क्रियान्वयन सिर्फ कागजों पर हुआ। आधे-अधूरे काम और अनियमितताओं की लंबी कहानी सामने आई। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है। हालांकि इस विषय पर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
योजना का उद्देश्य और असफल क्रियान्वयन
इस योजना के तहत प्रत्येक स्कूल में 250 से 300 फीट गहराई तक बोरिंग कर सबमर्सिबल पंप लगाना था। साथ ही पानी की टंकी और हैंडवाश बनाए जाने थे। ताकि बच्चों को पीने का स्वच्छ पानी मिले और वे शौचालय व हाथ धोने की सुविधाओं का लाभ उठा सकें। लेकिन शिक्षा विभाग और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण यह योजना विफल हो गई। लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाया।
जमुई टुडे के पांच सवाल जिम्मेदारों से:
1. संविदा लेने के बावजूद ठेकेदार अधूरा काम छोड़कर क्यों फरार हो गया?
2. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने योजना की गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं की?
3. आधे-अधूरे काम के बावजूद भुगतान कैसे कर दिया गया?
4. क्या शिक्षा विभाग अब इस योजना की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेगा?
5. बच्चों की प्यास बुझाने के लिए आखिर विभाग कब तक ठोस कदम उठाएगा?
संवेदक बिना अनुमति के ही रातों-रात कराया था काम
इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तारकेश्वर प्रसाद मिश्रा से जब बात की गई ,तो उन्होंने बताया कि योजना को लेकर हम लोगों से संवेदक कुछ भी जानकारी नहीं दी थी, और रातों-रात कई स्कूलों में काम करा कर निकल गए। जिस कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है।
इस संबंध में एडीएम सुभाष कुमार मंडल ने बताया कि मामले की जानकारी हमें नहीं है,अगर सबमर्सिबल पंप लगाने काम आधा अधूरा छोड़ा गया है, तो इसकी जांच कराई जाएगी ।जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.