जिस कमरे में है प्रभारी प्रधानाध्यापक का कार्यालय उसी में कक्षा 5 की होती है पढ़ाई
Jamui -बरहट प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत जाननी हो तो उत्क्रमित मध्य विद्यालय पतौना का हाल देखना काफी है। यह विद्यालय शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का जीवंत उदाहरण बन चुका है। जहां बुनियादी सुविधाओं के अभाव है। विद्यालय में नामांकित 165 बच्चों के लिए महज चार कमरे हैं। जिसमें कक्षा 1 से लेकर 8 तक की पढ़ाई किसी तरह चलाई जा रही है।
विद्यालय की मौजूदा स्थिति यह है कि चार कमरों में सभी कक्षाओं को समेटने की कोशिश हो रही है। एक कमरे में प्रभारी प्रधानाध्यापक का कार्यालय भी है और वहीं कक्षा 5 की पढ़ाई भी होती है। जबकि कक्षा 1 और 3 के बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जाता है। बरामदे में न तो पर्याप्त रोशनी है और न ही शांति जिससे बच्चों की पढ़ाई में बार-बार व्यवधान उत्पन्न होता है। यह स्थिति बच्चों की एकाग्रता और सीखने की क्षमता दोनों को प्रभावित करती है।

विद्यालय की सहायक शिक्षिका पूनम कुमारी बताती हैं कि कमरों की भारी कमी के कारण एक ही कमरे में कई कक्षाओं को एक साथ पढ़ाना पड़ता है। विषयवार पढ़ाई संभव नहीं हो पाती। जिससे बच्चों को समझने में दिक्कत होती है। बच्चे पढ़ाई में बार-बार पिछड़ जाते हैं। अगर विभाग समय पर ध्यान दे तो हम उन्हें बेहतर शिक्षा दे सकते हैं।
स्थानीय ग्रामीणों बच्चु तांती, महेंद्र तांती, सुमन तांती और सुरेंद्र तांती ने बताया कि विद्यालय का पुराना भवन एक साल पहले गिरा दिया गया था। विभाग ने कहा था कि जल्द ही नया भवन बनेगा, लेकिन आज तक न कोई निर्माण कार्य शुरू हुआ, न ही एक ईंट तक रखी गई। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि भवन गिराने के बाद उसका मलबा भी ठेकेदार ने बेच दिया। अब स्थिति यह है कि बच्चे बरामदे में बैठने को मजबूर हैं।
प्रभारी प्रधानाध्यापक नरेंद्र कुमार ने बताया कि पुराने भवन को गिराने के बाद निर्माण का आश्वासन मिला था। लेकिन एक साल बीतने के बावजूद न तो कोई निर्माण कार्य शुरू हुआ और न ही किसी स्तर पर ठोस कार्रवाई हुई। हमने कई बार जिला पदाधिकारियों को जानकारी दी लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट
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