आज भारत पूरे लॉक डॉउन की स्थिति में है. आज आम मजदूर गरीब लोगों के लिए जीवन उपार्जन के लिए बहुत ज्यादा समस्या पैदा हो चुकी है. इस बात से सभी अवगत हैं.चाहे आप अपने बिहार में है या बिहार से बाहर रहने वाले मजदूर हो,सभी कोरोना जैसे वैश्विक बीमारी के मार से नहीं बच सकें,समस्याएं तो सबके साथ है,चाहे वह गरीब हो मध्यमवर्गीय व्यापारी या अमीर हो. सभी इसके शिकार बन चुके हैं. गरीब मजदूरों के बाद सबसे ज्यादा बिहार के मध्यमवर्गीय व्यापारी के साथ ज्यादा परेशानी हुई हैं. कुछ उनके लिए भी सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए. उनके साथ भी समस्याएं बहुत हैं. बिहार सरकार उनकी समस्याओं का हल निकालने का प्रयास करें,नहीं तो समस्याएं बढ़ती जाएंगी, क्योंकि बिहार में गरीबों के बाद मध्यमवर्ग व्यापारी का ही आंकड़ा ज्यादा है
चाहे वह चाय की दुकान, पान की दुकान ,दर्जी की दुकान, साइकिल पंचर की दुकान और कई ऐसे छोटे-मोटे व्यापारी सभी परेशान हैं.इस बात से सरकार भी अवगत है. छोटे-मोटे व्यापारियों का रोज का बिजनेस था. जिससे उनकी रोजी रोटी चलती थी आज लॉक डाउन के वजह से उनके साथ परेशानी बढ़ी है. स्वाभिमान के चलते वह अपनी दर्द बयान नहीं कर पाते है,समय रहते सरकार को इस बातों पर भी ध्यान देना चाहिए. इन मध्यमवर्ग व्यापारियों के लिए भी सरकार को कुछ ठोस नीति बनानी चाहिए क्योंकि वह भी कोरोना वैश्विक महामारी के शिकार हो चुके हैं.
बिहार सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा कई घोषणाओं का ऐलान किया गया जिससे कि आप अवगत हैं. उसके बाद नितीश सरकार जागे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि
“जब बाहर से आए मजदूर एवं अन्य लोग 21 दिन बाद क्वारंटाइन सेंटर से निकलेंगे तो उनको यात्रा में लगे किराया खर्च के अलावा 500 रु० एवं न्यूनतम कुल राशि 1000 रु० राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा।”
मेरा एक सवाल है सरकार से, क्या इस पैसे से रोजगार उत्पन्न हो सकता है. जो परेशानी में आए हैं, उसकी आर्थिक मदद तो कर रहे हैं. लेकिन वह आगे करेंगे क्या फिर मजबूर होकर दोबारा दूसरे राज्य में श्रमदान करने के लिए मजबूर होंगे. थोड़ा सरकार को इस ओर भी सोचना चाहिए. ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे कि अपने मजदूर भाइयों का श्रम का योगदान अपने राज्य के लिए हो ताकि भविष्य में ऐसी आपदा आए तो बिहार में भी श्रमिकों के लिए अवसर खुले रहें. इसके साथ ही जो मध्यमवर्ग के व्यापारी भाइयों की भी समस्याएं हैं ,उनके लिए भी सरकार को प्रमुखता से सोचना पड़ेगा.क्योंकि लॉक डाउन के वजह से उनका व्यापार ठप है आज लॉक डाउन के 41 दिन हो गए हैं, उनके पास अर्निंग का कोई साधन नहीं है, जब तक कि उनका व्यापार नहीं खुलता.
विपक्ष के प्रत्यारोप के बाद शायद नितीश जी जागे हैं .फिर भी विपक्ष का वादा सरकार के वादे से ज्यादा कारगर लगता है.
शायद सरकार को मजदूरों के यात्रा के खर्च का पैसे देने का ऐलान पहले करना चाहिए था. जिससे जनता आप के समर्थन में हो. शायद आने वाला समय और भी समस्याएं लेकर आए इसके लिए भी सदैव सरकार को तत्पर रहना पड़ेगा. मध्यमवर्गीय व्यापारियों की हालत बिहार में आज दयनीय हो चुकी है.
जमुई टुडे द्वारा सरकार से यही निवेदन है की बिहार के विकास के लिए जो उचित हो वही करें. रेलवे द्वारा मजदूरों के टिकट के पैसे वसूली का प्रकरण शायद आपने भी देखा होगा. यह उचित नहीं था. आज सरकार कुछ भी कह ले.चाहे प्रेस विज्ञप्ति देकर सरकार अपनी वाहवाही करें. जब तीर कमान से निकल जाता है तो रोके नहीं रुक सकता शायद बिहार सरकार की यही हालत आज है.
( कुमार नेहरू की कलम से)
आनंद आलोक
May 5, 2020 at 11:18 PMआपके द्वारा लिखी गई यह लेख सराहनीय। मैं आपके इस लेख का समर्थन करता हूं और माननीय बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी से आशा करता हूं कि वह आपकी बातों को संज्ञान में लेकर मध्यमवर्ग व्यापारियों के लिए और मजदूर भाइयों के लिए कुछ ठोस कदम उठाएं।