मधेपुरा जिला का शान जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल बना कोरोना मरीज के मौत का कारण.कई करोड़ों के लागत से जब मधेपुरा में जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल का निर्माण हुआ तो जिला वासियों के साथ-साथ पडोसी जिलों के लोग भी काफी ख़ुश थे पर उन्हें नहीं पता था की जिस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल को जिले का शान समझ रहे है वहां इलाजरत व्यक्ति हॉस्पिटल की लापरवाही के कारण कब काल के गाल मे समा जाये पता नहीं.
हॉस्पिटल के गलत रवैया के कटिहार के बेगना निवासी, सिचाई विभाग के आदेशपाल राधे मुखिया जी, वह कोरोना पॉजिटिव थे, उनको 24 अगस्त को एडमिट किया गया था. वो आज व्यवस्था की भेट चढ़ गए. परिजन (धनजी राम) के अनुसार मौत की वजह अस्पताल की लापरवाही है. परिजनों का यहां तक कहना है की हॉस्पिटल प्रशासन मरीजों के परिजनों से ऑक्सीजन किट और दवाइयां भी बाहर से खरीद कर मंगवाते हैं.मरीज को जो नाश्ता दिया जाता है,उसकी गुणवत्ता भी काफी खराब है.
मरीज की स्थिति ख़राब होने पर जब डॉक्टर को बुलाया जाता तो वो घंटो बाद आते थे. परिजन ने भावुक होकर कहा की नहीं लाते यहाँ तब बच जाते यहाँ लाकर गलती हो गयी हॉस्पिटल ने जान ले लिया. कितने दुख की बात है, राधे मुखिया की लाश घंटो उस वार्ड मे पड़ी रही जहाँ दर्जनों कोरोना पोजेटिव इलाजरत है. ऊपर के अधिकारियों को इसकी शिकायत करने पर भी लाश को हटाया नहीं गया, बल्कि उसे वार्ड मे ही छोड़ कर अन्य मरीजों के आत्मबल को कमजोर करने का प्रयास किया गया. परिजनों के काफी मशक्कत करने के बाद राधे मुखिया के शब को रिलीज किया गया और खबर लिखे जाने तक हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई है.
जानकारी के लिए बता दूँ “जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल”आस पास के जिले के कोरोना मरीज का इलाज हो रहा वहां की व्यवस्था काफी दयनीय है, कोरोना वार्ड को सेनेटाइज तक नहीं किया जाता है, ना मरीज की स्थिति का अवलोकन करने के लिए डॉक्टर ही समय पर उपलब्ध रहते.आश्चर्य है मरीज के परिजन से मरीज को वेंटीलेटर पर डालने को कहा जाता है,ऑक्सीजन परिजन को लगाने कहा जाता है, इंजेक्शन लगाने को कहा जाता है,नास्ते मे दिया जाने वाला ब्रेड भी कीड़ों से भरा पड़ा रहता है, मरीज को यदि सुई देने के लिए सिस्टर आ भी जाये तो पोजेटिव मरीज को इंजेक्शन देने के क्रम मे यदि उनके हेंड गलब्स पर पोजेटिव मरीज का बल्ड बून्द लग जाये उसके बाद भी बगैर गलब्स बदले उसी गलब्स को इस्तेमाल करते हुए दूसरे मरीज को भी इंजेक्शन दे दिया जाता है. दुख है की इतने बड़े अस्पताल मे मरीजों के साथ इस प्रकार का खेल खेला जा रहा है झूठा कम्प्लेन नंबर जारी किया जाता है जिसपे कॉल करने पे कोई सुनवाई नहीं हो पाती.
सुमन सौरभ की रिपोर्ट