जमुई सदर अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से आज फिर एक मरीज की जान चली गई है। सदर अस्पताल में आए दिन डॉक्टर नदारद रहते हैं। इस मामले में काफी हो हंगामा होने के बावजूद भी डॉक्टर अपनी मर्जी से सदर अस्पताल में ड्यूटी पर आते हैं और जाते हैं। ताजा मामला कल्याणपुर मोहल्ले के पप्पू राम के साथ घटा है। पप्पू राम अपने पिता किसुन राम का इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचे थे। किसुन राम को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। जिसको लेकर परिजन अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे थे। सदर अस्पताल के किसी डॉक्टर द्वारा उनको ऑक्सीजन लगाया गया, उसके बाद ले जाकर इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। इसी दौरान सांस लेने की तकलीफ की वजह से किसुन राम की जान चली गई। जब उनको इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया था, उसके बाद से सदर अस्पताल के इमरजेंसी से डॉक्टर गायब हो गए। जिसकी वजह से परिजन इलाज में लापरवाही की वजह से जान जाने का आरोप लगा रहे हैं।
वहीं इस मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक नौशाद अहमद इमरजेंसी में पहुंचे। जब उनसे डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं रहने की बात पूछा गया तो वह सरासर अपना पल्ला झाड़ते दिखे। उनका साफ कहना था कि डॉक्टर हमारी नहीं सुनते हैं। यह काम चिकित्सा अधीक्षक का है, उनके द्वारा ही हॉस्पिटल में डॉक्टरों की ड्यूटी निर्धारित होती है। उन्होंने आगे बताया कि ड्यूटी के रोस्टर के हिसाब से डॉ मृत्युंजय की ड्यूटी थी। वे अपनी ड्यूटी के जगह पर डॉ एजाज को ड्यूटी देकर चले गए। डॉ एजाज को हार्ट की समस्या है, जिसको दिखाने के लिए वह आवेदन देकर अपना इलाज कराने पटना चले गए। मैं खुद बीमार हूं, उसके बाद भी मैं ड्यूटी पर आया हूं। जब उनसे पूछा गया कि मरीज की मौत की जिम्मेदारी किसकी है, तो उन्होंने बताया कि मरीज की मौत होती है,तो उसकी जिम्मेदारी डॉक्टर पर है। वही जब जिला चिकित्सा अधीक्षक अजय भारती से इस मामले में बात की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इस मामले में आप चिकित्सा उपाधीक्षक नौशाद अहमद से बात करिए। बरहाल सदर अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही से आज एक व्यक्ति को फिर अपनी जान गवानी पड़ी। आखिर कब तक डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से सदर अस्पताल में मरीज अपनी जान गवाते रहेंगे।
कुमार नेहरू कि रिपोर्ट