Jamui , बरहट प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय नगदेवा में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर बहाल तीन शिक्षकों में अनु कुमारी, रविन्द्र कुमार रवि और गोपाल कुमार की नियुक्ति रद्द कर दी गई है। यह कार्रवाई कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति सह प्रखंड विकास पदाधिकारी एसके पांडेय द्वारा की गई। उन्होंने अपने आदेश पत्रांक 260 दिनांक 7 अप्रैल 2025 को जारी कर संबंधित अधिकारियों को प्रतिलिपि अग्रसारित की। इन शिक्षकों पर लंबे समय से विभागीय जांच चल रही थी।
जांच में पाया गया कि तीनों शिक्षकों ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर 2015 में नियुक्ति प्राप्त की थी। इनकी नियुक्ति पंचायत के मुखिया और सचिव की अनुशंसा पर हुई थी। वर्षों तक इन्होंने विभाग की आंखों में धूल झोंक लाखों रुपये वेतन के रूप में उठाया। जांच के दौरान जब प्रमाणपत्रों की ऑनलाइन जांच कराई गई, तो इनका सक्षमता प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया।
इसके बाद विभाग ने कई बार स्पष्टीकरण हेतु पत्र भेजा परंतु न तो वे उपस्थित हुए न ही कोई जवाब दिया। अनु कुमारी एक वर्ष से जबकि अन्य दो शिक्षक चार माह से बिना सूचना स्कूल से अनुपस्थित थे। स्थानीय पंचायत विकास मित्र द्वारा इनके पते पर पत्र भेजने पर पता चला कि वहां ऐसे नाम के कोई व्यक्ति नहीं रहते। विभागीय सूत्रों के अनुसार इन शिक्षकों के नाम और सर्टिफिकेट का उपयोग कर अन्य जिलों व स्कूलों में भी नौकरी की जा रही थी।
अनु कुमारी के नाम पर छह स्थानों पर सेवा देने की बात सामने आई है। रविन्द्र कुमार और गोपाल कुमार भी अन्य विद्यालयों में कार्यरत पाए गए हैं। जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया।
इस संबंध में प्रखंड विकास प्राधिकारी एसके पांडेय ने बताया कि स्पष्टीकरण नहीं देने पर नियोजन इकाई ने कार्रवाई की। बिहार सरकार के पत्रांक 537 दिनांक 3 जुलाई 2024 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग कर इनकी नियुक्ति रद्द की गई है। साथ ही आदेश दिया गया है कि इनके द्वारा प्राप्त वेतन की वसूली बिहार एवं उड़ीसा लोक मांग वसूली अधिनियम 1914 के तहत की जाए तथा प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट
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