जमुई जिले का कभी यह इलाका नक्सलियों की धमक से थर्राया करता था। विकास इस इलाके से कोसों दूर थी। नक्सली एरिया कमांडर बालेश्वर कोड़ा के खौफ से पूरे इलाके में दहशत का माहौल था। इस इलाके में रात के अंधेरे में जाना तो दूर, दिन के उजाले में जाना भी नामुमकिन था। लेकिन आज इस इलाके की तस्वीर बदल चुकी है। यहां गोलियों की तरतराहट की जगह अब स्कूल में घंटियां गूंजती है। यहां अब लोगों में नक्सलियों का खौफ नहीं है। लोग अब सुख शांति से गुजर बसर कर रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं जमुई जिले के बरहट प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित गांव चोरमारा की। अब यह गांव गोलियों और बम धमाके की दहशत को पीछे छोड़ विकास की राह पर चल पड़ा है। बीते जून महीने में नक्सली एरिया कमांडर बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा और अर्जुन कूड़ा के आत्मसमर्पण के बाद इलाके में नक्सलियों का खौफ खत्म हो गया । कभी चोरमारा के स्कूल को बालेश्वर कोड़ा ने बम से उड़ा दिया था, आज उसकी बहू रंजू देवी उसी स्कूल में बच्चों को पढ़ा कर गांव में शिक्षा की अलख जगा रही है।
वही बालेश्वर कोड़ा के आत्मसमर्पण के पीछे उसकी पत्नी मंगरी देवी का बहुत बड़ा हाथ था। आज वह गौपालन कर अपनी आजीविका चला रही है। गांव में अब हर घर में सोलर लाइट लग चुकी है। लोगों के घरों तक जल नल योजना का पानी पहुंच चुका है। गांव के कई लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है। इस गांव के लोग अब सुख शांति से अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
इस इलाके में बदलाव की शुरुआत सीआरपीएफ कैंप लगने के बाद शुरू हुई। उसके बाद लगातार गांव में सिविक एक्शन प्रोग्राम चलाकर लोगों के बीच मदद पहुंचाने की शुरुआत हुई। जमुई डीएम अवनीश कुमार सिंह खुद चोरमारा और गुरमाहा गांव का भ्रमण कर गांव की स्थिति का जायजा लिया, उसके बाद लगातार डीएम के निर्देश पर गांव लोगों को सरकारी योजना का लाभ दिया जाने लगा। जिससे ग्रामीण और नक्सलियों के परिवारों को प्रशासन के ऊपर भरोसा बढ़ने लगा। जिसके बाद आज गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। गांव के सभी लोग अब भयमुक्त होकर सुख शांति से अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
कुमार नेहरू के साथ धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट