गिद्धौर रियासत के तत्कालीन राजा ने सन 1171 में धर्म रक्षा के लिए किया था कामना लिंग स्थापित।
बरहट , प्रखंड अंतर्गत बंदरीदह नदी के तट पर( जो अब क्यूल नदी के नाम से जाना जाता है) स्थित पत्नेश्वर धाम मंदिर जिले भर में प्रसिद्ध है। यही कारण है की सावन माह में आसपास जिले के बड़ी संख्या में लोग पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं।मंदिर पहाड़ी पर स्थित है ।यहां हरेक साल शिव भक्त बंदरीदह नदी में स्नान कर बोल बम के जयकारा लगाते हुए 104 सीढ़ी चढ़कर महिला ,पुरुष सहित लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ पर जलाअभिषेक करते हैं।जो भगवान भोलेनाथ पर जल अर्पित कर अपने एवं समस्त परिवार के सलामती का कामना करते है। यहां प्रत्येक दिन संध्या में बाबा भोलेनाथ का सिंगारी के बाद आरती की जाती है। इस साल 59 दिनों तक चलने वाली सावन माह को लेकर मंदिर प्रबंधक की और से तैयारी पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग बेरीकेटिंग किया गया है । साथ ही मनचलों पर निगाह रखने के लिए मंदिर परिसर के चारों और सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है। मंदिर परिसर के बाहर पूजा सामग्री समेत अन्य सामान की दुकानें सज गई हैं। विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूजा समितियों के अलावा प्रशासनिक तैयारी पूरी कर ली गई है।
गिद्धौर रियासत के राजा ने किया था शिव लिंग स्थापित।
बताया जाता है की सन 1171 में गिद्धौर रियासत के तत्कालीन राजा ने धर्म रक्षा के लिए पत्नेश्वर धाम मंदिर में पूरे विधि विधान से शुभ मुहूर्त में कामना लिंग को स्थापित किया था।भगवान शिव मंदिर के ठीक सामने माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। वही मंदिर प्रांगण में गणेश, कार्तिक ,मां दुर्गा, राम ,लक्ष्मण ,सीता, बजरंगबली, काल भैरव ,नंदी का प्रतिमा स्थापित है।
भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से कुष्ठ रोगियों को मिलती है मुक्ति।
मंदिर के मुख्य पुजारी राजीव कुमार पांडेय ने बताया की मंदिर का महिमा इतना अपरंपार है कि यहां प्रत्येक दिन शिव भक्तों का आना जाना लगा रहता है। सावन माह में बंदरीदह नदी में स्नान ध्यान कर सच्चे मन से जो भी श्रद्धालु भगवान शिव पर जलाअभिषेक कर मन्नत मांगते हैं उनकी मुरादे भगवान शिव पूरी करते हैं। मान्यता है कि यहां भगवान शिव पर जलाअभिषेक करने से कुष्ठ रोगियों को मुक्ति मिलती है। इसलिए लोगों को भगवान शिव पर बहुत आस्था है। यहां मांगी गई मुरादे पूरी होती है।
बरहट से शशि लाल की रिपोर्ट