भारत में 70 साल के इंतजार के बाद एक बार फिर चीता युग की शुरुआत हुई है। 70 साल पूर्व चीता को भारत में विलुप्त प्राणी घोषित कर दिया गया था। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर देश के दिल मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 8 चीतों को 70 साल के लंबे अंतराल के बाद फिर से बसाने के लिये छोड़ा है। सभी चीते बोइंग के एक विशेष विमान से अफ्रीकी देश नमीबिया से उड़ान भरी थी और वह लकड़ी के बने खास तरीके बॉक्स में चीतों को लेकर करीब 10 घंटे की यात्रा के बाद भारत पहुंचा था। चीता को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ने के बाद उन्होंने वहां पर चीते की फोटो भी लिया।
An unforgettable day in Madhya Pradesh! pic.twitter.com/ius7WxTlDN
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2022
कूनो नेशनल पार्क में चीते की रहने की की गई है पुरी व्यवस्था
कूनो नेशनल पार्क 748 वर्ग किमी में बना हुआ है। उन्होंने नेशनल पार्क का पूरा जंगली इलाका 6,800 वर्ग किमी का है। एक्शन प्लान के मुताबिक, यह राष्ट्रीय उद्यान चीतों के रहने के लिए बेहद उत्तम है। यहां कम से कम 21 चीते रह सकते हैं। यहां चीते को अपना शिकार करने के लिए चीतल जैसे जानवर भी आसानी से मिल सकेंगे। यहां एक चीते पर हर एक किमी के दायरे में 38 से ज्यादा चीतल हैं। इसके अलावा चीते को शिकार करने के लिए अन्य जानवरों को भी उद्यान में छोड़ा गया है।
भारत के आखिरी 3 चीतों का शिकार महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने किया, जिसके बाद भारत में चीता विलुप्त हो गया
इतिहासकारों के अनुसार मुगल शासक अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान लगभग 1000 चीते को संरक्षित कर रखा था। उस समय देश में चीतों की संख्या काफी अधिक थी। मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के जर्नल के मुताबिक, भारत में हमेशा से चीता रहे हैं लेकिन लगातार शिकार होने के वजह से यह धीरे-धीरे खत्म हो गए। पुराने जमाने में राजा महाराजा चीतों का शिकार करने में काफी माहिर होते थे। हमेशा अपनी छुट्टियों पर शिकार करने के लिए निकल जाते थे। उस समय किसी जानवर का शिकार करना गैरकानूनी नहीं था। जिसके कारण यह हालात देखने को मिला। भारत में तीन आखिरी एशियाई चीता बचे थे।

शिकार के बाद आखरी 3 चीतो के साथ महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव
कभी चीतों का घर रहे भारत में आजादी के वक्त ही चीते पूरी तरह विलुप्त हो गए। 1947-48 में देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार मध्य प्रदेश के कोरिया रिसासत (अब छत्तीसगढ़) के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने किया था। इसके बाद भारत से चीता जैसे जानवर पूरी तरह से खत्म हो गए। तत्कालीन सरकार ने भी 1952 में स्वीकार कर लिया कि भारत से चीता विलुप्त हो गए। एक बार फिर देश में आठ चीता आ जाने से चीता युग की शुरुआत हो गई है। सरकार धीरे-धीरे चीते की देश में जनसंख्या बढ़ाने के लिए कदम बढ़ा रही है।
जमुई टुडे न्यूज डेस्क