Jamui -लोक -आस्था का महापर्व छठ मंगलवार को नहाए खाए के साथ शुरू हो रहा है। पर्व की तैयारी में लोग जोर-शोर से लगे हुए है। पुजन सामग्री के साथ फल -फुल को लोग जुटाने में लगे हुए हैं। वैसे में बरहट प्रखंड के तमकुलिया गांव में दर्जन भर से अधिक घरों की आदिवासी समुदाय के महिलाओं के द्वारा बडे पैमाने पर हरे बांस की सुप, डाला तथा दउरा को छठ गीत गाकर तैयार कर रहे हैं। इस काम में महिलाओं के साथ पुरूष भी लगे हैं।
दउरा बना रही गांव के ही मुन्नी देवी ,जयमंती देवी ,सारो देवी ने बताया की यहां गीत गायन के साथ छठ व्रत के लिए सुप डाला बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां के बने सुप डाला आसपास जिलों के व्यापारी लोग यहां खरीदने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया की सुप -डाला में उपयोग किए जाने बाली बांस पूर्णिया जिले से मंगाया जाता है।जिसके लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। सुप डाला बनाने में लगे महिलाओं ने बताया की परंपरागत के साथ बांस के बने सूप डाला दाउरा पवित्रता का संदेश देता है। जिसमें की छठ व्रती फल -फूल से डाला सजाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते है।
छठ पूजा में अपनी अहम महत्व रखने वाला बांस के बने सुप, डाला, दौरा, मौनी का अधिक मांग बढ़ गई है। जिसे पूरा करने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। तमकुलिया गांव में बने सुप ,डाला जिला के लोगों में काफी डिमांड है। यहां के बने सुप, डाला जिला के सभी बाजारों में बिकती है। कर्मा पुजा से ही व्यापारियों की ऑडर आने लगती है। जिसे पूरा करने के लिए लगे हुए हैं। इसके बावजूद भी मेहनताना निकलना मुश्किल हो जाता है ।
वहीं सुप बना रही तारो देवी ने बताया समय के साथ बांस की डाला ,सुप, दउरा में अर्घ्य देने की परंपरा में बदलाव आ रही है। अब लोग पीतल ,कांशा के बर्तन का उपयोग करने लगे हैं। लेकिन गरीब परिवार के लोगों के लिए बांस के ही सुप -डाला सहारा है।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट
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