बरहट(Jamui), उड़ीसा बालासोर में शुक्रवार की कोरोमंडल ट्रेन हादसा के शिकार हुए पांडो निवासी मृतक रणवीर कुमार की शव रविवार की सुबह उसके पैतृक आवास परिजनों के द्वारा लाया गया। शव पहुंचते ही मृतक के परिवार वालों की चित्कार से पूरा गांव का माहौल गमगीन हो गया। देखते ही देखेते आस पास के लोग मृतक के घर पर इकट्ठा हो गया। माता कंचन देवी पिता कृष्ण मंडल ओर भाभी रिंकी देवी की रो रो कर बुरा हाल था । वहीं उसकी माता और भाभी अपने कलेजे के टुकड़े के शव से लिपट दहाड़ मार रो रहे थे। मां को रोते देख गांव वाले के आंखों से आंसू रुक नहीं पा रहे थे। उसकी मां अपने भाग्य को कोसते हुए बार-बार बेहोश हो जा रही थी। वही गांव की महिलाएं इस हादसे पर भगवान को कोस रही थी।लोगों ने परिजनों को ढांढस बढ़ा रहे थे।किंतु हर कोई की आंखें नम थी।हर कोई उनके मृदुल व्यवहार की चर्चा कर रहा था।जिसने भी यह मंजर को देखा सबकी आंखें नम थी।
मृतक के भाई ने बताया आंखों देखा हाल
मृतक रणवीर के साथ घर आ रहे उसके चचेरा भाई गौतम ओर मिथलेश इस हादसा में बाल-बाल बच गया।घर पहुंचने पर मिथिलेश आंखों देखा हाल बताया।उन्होंने बताया कि मृतक रणवीर अपने मौसेरा भाई का था। शादी में शामिल होने के लिए हम लोग एक साथ घर आ रहे थे। हम तीनों दोस्त एक ही बोगी में सवार थे। बोगी के ऊपर वाली केबिन हम बैठे हुए थे और रणवीर निचला सीट पर बैठकर सफर कर रहा था ।बालासोर स्टेशन के नजदीक वहानगा बाजार के पास जैसे ही ट्रेन पहुंची की एक जोरदार सा आवाज हुआ। आवाज होते हैं ट्रेन की बत्ती बुझ गई। जब तक हम लोग कुछ समझ पाते तब तक ट्रेन की कई बोगियां पटरी से 30 फीट गड्ढे में जा गिरी थी।इसके बाद लोगों की चीख और पुकार सुनाई देने लगा। मेरा धयान रणवीर पर गया ।उसके बाद उसे खोजने लगा।काफी देर तक खोजने के बाद यात्रियों से दवा हुआ बो मिला। उसे निकाला तो उसकी सांसे चल रही थी।वहीं उपचार के लिए लोगों से सहायता करने की अपील किया तो एक स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां से कुछ ही दूरी पर अस्पताल है वहां लेकर चले जाओ कई बार पुलिस और प्रशासन को फोन भी किया लेकिन कोई फोन नहीं उठाया ।अंत में थक हार कर घायल अवस्था में रणवीर को हाफ किलोमीटर तक अपने कंधे पर बिठाकर अस्पताल ले जा रहे थे तभी रास्ते में एक पुलिस वाले मिले और एंबुलेंस में लोड कर हमें अस्पताल भेज दिया ।अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मेरे रणवीर को मृत घोषित कर दिया।आगे मिथलेश ने बताया कि जिस डब्बे में हम लोग सवार थे उस डब्बे में मात्र 6 लोग ही जिंदा रहे बाकी सभी लोग की मृत्यु हो गई। कई लोग कुचल गए। कई लोगों की तो शरीर का अंग कट कर इधर-उधर बिखर गया । हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी दिन देखने को मिलेगा। अपने मित्र की खोने की बहुत दुख है। यह हृदय विदारक घटना हम अपनी जिंदगी में कभी भुला नहीं पाएंगे।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट