जमुई, बरहट प्रखंड अंतर्गत के अति नक्सल प्रभावित इलाका चोरमारा में पहले नक्सलियों की बंदूक से निकलने वाली गोलियां की आवाज अक्सर सुनाई देती थी। आज वहां स्कूल में बजने बाली घंटी की आवाज सुनाई देती है। जिस विद्यालय को हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा अपने सहयोगी नक्सलियों के साथ मिल कर आईडी बम लगाकर ध्वस्त कर दिया था। आज वही बिद्यालय में हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू रश्मी देवी विद्यालय के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रही है। बच्चें बिद्यालय में बच्चे पहुंच कर शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था यह इलाका
इस इलाके में हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा ,अर्जुन कोड़ा का घर होने बजह से नक्सलियों का साम्राज्य इस तरह से कायम था, कि मुंगेर जिले के तत्कालीन एसपी सुरेंद्र बाबू को बम से उड़ा कर मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद इस इलाके में सुरक्षाबलों को भी सोच संभल कर ही कदम आगे बढ़ाना पड़ता था। लेकिन आज सब कुछ सामान्य है।
इलाके में सीआरपीएफ कैंप खुलने के बाद बदल गई तस्वीर
यहां के लोगों पर सरकार की आंख खुली और अब धीरे धीरे गांव की तस्वीर बदलती जा रही है। इसी वर्ष फरवरी माह में चोरमारा गांव में सीआरपीएफ कैंप स्थापित किया गया। इसके बाद 5 मार्च को पुलिस प्रशासन के द्वारा सिविक एक्शन प्रोग्राम आयोजन किया गया था। जिसमें की जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ,जमुई पुलिस अधीक्षक एवं सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शामिल होकर इस गांव की तस्वीर बदलने को लेकर रणनीति तैयार किया था। बीते जून महीने में हार्डकोर नक्सली अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा,एवं नागेश्वर कोड़ा ने पुलिस के समक्ष हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद इस इलाके में नक्सलियों के कमर टूट गई और अब सब कुछ सामान्य है
बालेश्वर कोड़ा को आत्मसमर्पण कराने में पत्नी ने निभाई थी अहम भूमिका
इलाके में लगातार बढ़ती सुरक्षाबलों की सक्रियता का अंदाजा बालेश्वर कोड़ा की पत्नी को लग गई थी। उसने पति को मुख्यधारा में शामिल कराना ही मुनासिब समझी। और पति को समझा-बुझाकर बालेश्वर कोड़ा समेत अर्जुन कोड़ा एवं नागेश्वर कोड़ा को आत्मसमर्पण करवा दिया। गांव में बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत गांव वालों के साथ हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा की पत्नी मंगनी देवी को गौ पालन के लिए गाय दी गई। वहीं अब मंगनी देवी गौ पालन कर गाय के दूध बेचकर अपना परिवार के साथ हंसी खुशी से जीवन यापन कर रही है। दूसरी ओर बहू बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रही है।