स्कूल समय से पहले बंद, मोबाइल में व्यस्त मिले शिक्षक , मध्याह्न भोजन योजना में अनियमितता का खुलासा
Jamui -बरहट प्रखंड अंतर्गत कटौना पंचायत में संचालित प्राथमिक विद्यालय पमैया और उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिचला टोला कटौना में अनुशासनहीनता और विकास योजनाओं में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। गुरुवार को पंचायत के मुखिया कपिलदेव प्रसाद के द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में विद्यालय समय से पहले ही बंद पाया गया। निरीक्षण के दौरान दोनों स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति भी काफी कम देखी गई। विद्यालय विकास मद का सही उपयोग न होने से भवन और सुविधाओं की हालत जर्जर मिली। मुखिया ने इसे शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही बताया और दोषी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। इस स्थिति को देखकर ग्रामीणों में भी रोष व्याप्त है।
प्राथमिक विद्यालय पमैया में मोबाइल चला रहे थे शिक्षक
मुखिया सबसे पहले प्राथमिक विद्यालय पमैया पहुंचे, जहां का दृश्य बेहद चिंताजनक था। एक शिक्षक रंजीत कुमार बरामदे पर मोबाइल में व्यस्त थे। विद्यालय में कुल 41 नामांकित छात्रों में से उपस्थिति पंजी में 26 बच्चों की हाजिरी दर्ज थी। मौके पर मात्र 13 बच्चे ही उपस्थित मिले। उनमें से आधे बिना यूनिफॉर्म के थे। बच्चों से बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें मिड डे मील के तहत लगातार सब्जी-भात और शनिवार को खिचड़ी-चोखा दिया जाता है, कभी भी निर्धारित मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता।
जर्जर भवन में पढ़ाई से बच्चों की जान खतरे में
प्राथमिक विद्यालय पमैया का भवन भी दयनीय स्थिति में पाया गया। जिस कक्षा में बच्चे पढ़ते हैं,वहां दीवारों में बड़ी दरारें हैं, जो किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकती हैं। मिड डे मील कक्ष की हालत और भी खराब है । फर्श उखड़ा हुआ। कचरा फैला हुआ और खाना बनाने की सामग्री अव्यवस्थित पड़ी थी। विकास मद से भेजी गई राशि का कोई उपयोग नहीं दिखा। जिससे योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिचला टोला में भी मिली अनियमितताएं
इसके बाद मुखिया उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिचला टोला कटौना पहुंचे। यहां समय से पहले ही बच्चों को छुट्टी दे दी गई थी और सभी शिक्षक एक कमरे में मोबाइल में व्यस्त मिले। प्रभारी प्रधानाध्यापक मनोरमा कुमारी ने छुट्टी देने का कारण पुस्तक वितरण बताया लेकिन निरीक्षण के दौरान कई अन्य खामियां भी सामने आईं। विद्यालय विकास मद से खरीदे गए सामानों की सूची में दिखाया गया परंतु समान स्कूल में मौजूद नहीं था। अन्य सामग्रियों की स्थिति और जानकारी भी स्पष्ट नहीं दी गई। जबकि इस विद्यालय में 240 बच्चे नामांकित हैं जिस्म की 95 बच्चे ही उपस्थित पाए गए जिनकी भविष्य करने के लिए विभाग में 6 महिला शिक्षक 6 पुरुष शिक्षक को नियुक्त की है।
शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से विद्यालय अवधि में शिक्षकों द्वारा गैर-शैक्षणिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विद्यालय समय के दौरान सरकारी शिक्षक केवल शैक्षणिक कार्यों और आवश्यक आपातकालीन कॉल तक ही मोबाइल का उपयोग करें। सोशल मीडिया का इस्तेमाल इस दौरान सख्त वर्जित है। इसके बावजूद कई शिक्षक कक्षा संचालन के समय मोबाइल में व्यस्त देखे जा रहे हैं। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए नियमों की अनदेखी करने वाले इन शिक्षकों पर क्या कार्रवाई की जाती है।
ग्रामीणों की शिकायत पर स्कूलों का किया गया निरीक्षण
मुखिया कपिल देव प्रसाद ने कहा ग्रामीणों की शिकायत पर जब हमने निरीक्षण किया, तो स्कूलों की स्थिति बेहद खराब मिली। शिक्षकों की लापरवाही बच्चों की कम उपस्थिति और विकास मद की राशि के दुरुपयोग के स्पष्ट संकेत मिले हैं। मैं इस पूरे मामले की शिकायत प्रशासनिक पदाधिकारियों से करूंगा।
क्या कहते है जिला शिक्षा पदाधिकारी
इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि मुखिया के द्वारा अगर लिखित शिकायत की जाती है ,तो मामले की जांच पड़ताल कर उचित कार्रवाई करेंगे।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट
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