Jamui, मां सरस्वती की पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा । पर्व का समय नजदीक आते ही मूर्तिकार मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में दिन रात लगे हुए है। प्रखंड अंतर्गत के मलयपुर बस्ती ,पांडो दुर्गा मंदिर , गुगुलडीह एवं बरहट मे मां सरस्वती की भव्य मूर्तियां बनाई जा रही है। इन जगहों पर 3 हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक कि मूर्ति उपलब्ध है। पूजा कमेटियों के द्वारा एडवांस में भी मूर्ति बुक की जा रही है।
मेहनताना निकालना भी मुश्किल
खून पसीना बहा कर बड़े -बड़े पंडालों में कुम्हार के हाथों से बने मां सरस्वती के साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा चार चांद लगाते हैं। लेकिन बदलती जीवन शैली की परिवेश में मिट्टी को आकार देने वाला कुम्हार आज उपेक्षा का दंश झेल रहा है। कड़ी मशक्कत के बाद वाजिब दाम नहीं मिलने से कुम्हार अब अपना पैतृक व्यवसाय छोडने को मजबूर हैं, क्योंकि इससे उनके परिवार का गुजर बसर मुश्किल हो गया है। उक्त बातें मलयपुर के मूर्तिकार मनोज पंडित ने कही ।
उन्होंने बताया की हम लोग बचपन से ही काम करते आ रहे हैं। लेकिन अब हमारे बच्चे लोग इस व्यवसाय में हाथ बटाना भी नहीं चाहते हैं। कियूंकि इस व्यवसाय से परिवार का भरण पोषण भी सही से नहीं हो पाती है। पहले मेरे दादा अन्छु पंडित ने पहले मूर्ति बनाने का काम शुरु किया था।उसके वाद पिता कृष्ण पंडित बनाने लगा। पिता के बाद अब हम लोग मूर्ति को बना रहे हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई से हम लोगों के रोजगार पर खास असर पड़ रहा है। सजावट के सामानों की बड़ी कीमत। महंगाई की मार हर एक तरफ देखी जा रही है, जिससे आमजन जीवन प्रभावित हो रही है।जिसका मूर्तिकारों पर भी देखने को मिल रहा है ।
मनोज पंडित बताते हैं कि मूर्ति बनाने में काम आने वाली समानों की कीमत में बहुत बढ़ोतरी हो गई है। जो मिट्टी हम लोग 100 रुपये टेलर खरीदते थे ,वही मिट्टी 700 रुपये टेलर ख़रीद कर मूर्तियां बना रहे हैं। सजाबट के समानों की कीमत आसमान छू गई है। पहले हम लोग 100 से 200 तक मूर्ति बना कर असानी से बेच लेते थे। अब तो100 मूर्ति बेचना भी मुश्किल हो गया है। जिस कारण कारीगरों का मेहनत आना भी निकालना मुश्किल है। मिटी में आकार देकर हम लोग दूसरे के घरों में कमल चरण पहुंचा देते हैं ,लेकिन अपने अपने ही घरों में अंधेरा छाई रहती है।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट