पटना: बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को कांग्रेस, AAP और टीएमसी सहित लगभग 20 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक होने वाली है। इसको लेकर खूब सियासी बयानबाजी हो रही है। इस तरह की सियासी गुणा- गणित का जनता पर होने वाले असर पर बेबाक राय रखने वाले
जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने कहा कि आज नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं? इस पर ज्यादा बोलने का कोई मतलब नहीं है। आज से पांच साल पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे चंद्रबाबू नायडू भी इसी भूमिका में थे जिस भूमिका में आज नीतीश कुमार आने का प्रयास कर रहे हैं। नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू उस समय बहुमत की सरकार चल रहे थे, जबकि नीतीश कुमार तो 42 विधायकों के साथ आज लंगड़ी सरकार चला रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू उस दौर में पूरे देश का दौरा करके विपक्ष को एकजुट कर रहे थे। इसका नतीजा ये हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर 3 हो गए, सिर्फ 23 विधायक जीते और वह प्रदेश की सत्ता से ही बाहर हो गए। नीतीश कुमार को बिहार की चिंता करनी चाहिए। नीतीश कुमार का खुद का ठिकाना नहीं है, आज राजद पार्टी के बिहार में जीरो एमपी हैं और वो देश का प्रधानमंत्री तय कर रही है। जिस पार्टी का खुद का ठिकाना नहीं है वो देश की दूसरी पार्टियों को इकट्ठा कर रहा है। हाल ही में नीतीश कुमार के हुए पश्चिम बंगाल दौरे की पोल खोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार से ये पूछना चाहिए कि क्या ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ काम करने को तैयार हैं? क्या नीतीश कुमार और लालू TMC को बिहार में एक भी सीट देने को तैयार हैं? क्या नीतीश कुमार हमसे ज्यादा ममता बनर्जी को जानते हैं? पश्चिम बंगाल में नीतीश कुमार को पूछता कौन है? आप मेरी बातों को लिखकर रख लीजिए। नीतीश कुमार का भी वही हाल होगा जो चंद्रबाबू नायडू का हुआ था। अगले चुनाव में मोदी, लालू, नीतीश, कांग्रेस में से किसी पर भरोसा मत कीजिए। मैं बिहार की जनता से गुजारिश करता हूं कि आप इन पार्टियों के चक्कर में न पड़कर अपनी सरकार यानी कि जनता का सरकार बनाइए तभी जाकर आपका विकास होगा। आज नीतीश कुमार का हाल अंधों में काना राजा जैसा है।
Jamui Today News Desk