बरहट – सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही बदहाल शिक्षा- व्यवस्था की तस्वीर मन में चलने लगती है, किंतु अब ऐसा नहीं है और अब पुरानी तस्वीर बदल गई है। दरअसल बरहट प्रखंड अंतर्गत लखैय पंचायत के 10 नंबर वार्ड में संचालित उत्क्रमित मध्य विद्यालय लकरा का हालात अलग है। यहां बच्चों को सरकारी स्कूल के तरफ आकर्षित करने के लिए अनोखा प्रयोग किया गया है। सूबे में यह स्कूल ट्रेन बाली डब्बे के नाम से जाने जाते है। इस स्कूल भवन के कक्षा 1 से 5 तक रेल डब्बे की तरह पेंटिंग कर रेल गाड़ी का रूप दिया गया।
इस विद्यालय को बाहर से देखने पर यही लगता है की यहां कोई ट्रेन खड़ी है। वहीं कमरे में प्रवेश करने दौरान ऐसा लगता है की जैसे रेल के डब्बे में प्रवेश कर रहे हैं, जो बच्चों को खूब अपने ओर आकर्षित कर रही है।
खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाते हैं शिक्षक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय लकरा के विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका सुरभि कुमारी बताते हैं ,की विद्यालय विकास मद की राशि से पिछले साल स्कूल को रेल गाड़ी की डब्बे का आकार दिया गया है। यह रंग और आकृति के कारण अभिभावक और बच्चों को खुब पसंद आ रही है। बच्चों का एडमिशन में भी बढ़ोतरी हुई है। अभी स्कूल में 268 बच्चे नामांकित है। कक्षा 1 में बाल पेंटिंग भी कराया गया है। जिस कारण स्कूल में बच्चों की उपस्थित अच्छी खासी रहती है। वहीं स्कुल में टीएलएम योजना के तहत बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है। साथ ही यहां बच्चों से कई तरह की गतिविधियां कराई जाती है। जिसमे प्रार्थना, राष्ट्रगान, प्रस्तावना, गुरुवन्दना, योग और सामान्य ज्ञान के बारे में बताया जाता है।
बच्चों की प्रतिक्रिया स्कूल में रेलगाड़ी की पेंटिंग के बारे में बहुत दिलचस्प है। अनुष्का कुमारी ने बताया कि स्कूल में प्रवेश करते समय रेलगाड़ी की पेंटिंग उन्हें यह अहसास कराती है जैसे वे ट्रेन में चढ़ रहे हों, जो पढ़ाई के दौरान उन्हें उत्साहित और प्रेरित करता है। इसी तरह सुजाता कुमारी ने बताया कि स्कूल में रेल ट्रेन की पेंटिंग देखकर उन्हें खुशी मिलती है और साथ ही खेल-खेल में पढ़ाई का तरीका भी उन्हें आकर्षित करता है। सुशांत कुमार ने भी यही कहा कि स्कूल में प्रवेश करते वक्त उन्हें ट्रेन की सवारी करने का एहसास होता है, भले ही वे असल में ट्रेन में ना चढ़ते हों।
प्रभारी प्रधानाध्यापिका सुरभि कुमारी ने बताया कि स्कूल में ट्रेन डब्बे की खूबसूरत पेंटिंग ने बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि और उत्साह बढ़ाया है। इस सृजनात्मक प्रयास से बच्चों में न केवल पढ़ाई के प्रति प्यार और प्रेरणा पैदा हुई है। बल्कि बच्चों का उत्साह भी देखने लायक है। उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रयोग काफी सफल रहा है, और इसका सकारात्मक असर यह रहा कि स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कहा की इससे यह प्रमाणित होती है कि बच्चों को आकर्षक और रचनात्मक वातावरण में पढ़ाना उनके लिए बहुत प्रभावी हो सकता है, जिससे उनकी शैक्षिक सफलता और स्कूल में रुचि बढ़ती है।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट