Jamui- शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के स्कूलों के लिए पूर्व से निर्धारित छुट्टियों में कटौती करने का शिक्षकों ने कड़ी निंदा की है । परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने छुट्टियों की कटौती से संबंधित विभाग द्वारा जारी किए गए पत्र की प्रतियों को नकार कर सरकार के खिलाफ जम कर विरोधी नारे लगाए गए। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से अविलंब हस्तक्षेप करने की मांग की है। साथ ही तुगलकी फरमान जारी करने वाले पदाधिकारी पर सख्त कार्रवाई की भी मांग की है ।
मौके पर संघ के जिलाध्यक्ष अभिषेक राव ने कहा है कि छुट्टियों में कटौती तुगलकी फरमान ही नहीं बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का भी हनन है। स्कूलों में पूर्व से श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हरितालिका तीज, जीवित्पुत्रिका व्रत की छुट्टी होती रही है। लेकिन इन छुट्टियों को समाप्त कर दिया गया है । इतना ही नहीं दुर्गा पूजा और छठ के अवसर पर 8-8 दिनों की निर्धारित छुट्टी को खत्म करते हुए मात्र एक और दो दिन की छुट्टी दी गई है। इससे पूरा शिक्षक समाज आक्रोशित है।
संघ के नेताओं ने कहा है कि अवकाश तालिका से भगवान श्री कृष्णा का नाम हटाकर कोई भी सरकार भारतीय परंपराओं की पहचान नहीं मिटा सकती है। भारत पूरी दुनिया में अपने पर्व त्यौहार और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां की महिलाएं तीज का व्रत करती हैं ,और दिन और रात उपवास रहकर रात्रि में जागरण भी करती हैं। जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। यदि इन छुट्टियों को फिर से लागू नहीं किया गया तो राज्य में कार्यरत 60% से अधिक महिला शिक्षिकाओं की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन होगा। जिसके लिए सीधे सरकार जिम्मेवार होगी। भारत की महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं, और यह व्रत भी पूर्णतः निर्जला होती है। ऐसे कठिन त्यौहार की भी छुट्टी रद्द कर देना तानाशाही का परिचायक है।
बिहार में मनाये जाने वाले छठ के त्योहार से पूरी दुनिया में बिहारी परंपरा जानी जाती है। बिहार का नागरिक चाहे वह अमेरिका में हो या इंग्लैंड में या कनाडा में या जर्मनी में वह छठ का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाता है। चार दिनों के इस त्यौहार में विदेश और परदेश में रहने वाले लोग भी अपने घर आ जाते हैं और अपने पूरे परिवार के साथ पर्व को मानते हैं। किंतु छठ की छुट्टी मात्र दो दिनों में समेट दी गई है । वहीं दुर्गा पूजा की छुट्टी मात्र दो दिनों की कर दी गई है, जिससे पूरे बिहार के शिक्षक आक्रोशित हैं। साल में 60 छुट्टियां विद्यालयों के लिए निर्धारित हैं। इन्हीं 60 छुट्टियों में इन सभी पर्व त्योहार को पूर्व से उसके महत्व के और परंपरा के को ध्यान में रखते हुए अवकाश तालिका का निर्धारण किया गया था। किंतु अभी जो फरमान जारी किया गया है। वह राजतंत्र में भी ऐसी व्यवस्था नहीं रही है। इसका संघ पुरजोर विरोध करता है और अविलंब इस आदेश को वापस नहीं लिया गया और छुट्टियों को पूर्व की भांति लागू नहीं किया गया, तो पूरे बिहार के शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे और फिर से पोस्टर वॉर शुरू करेंगे। मौके पर प्रदेश सचिव निरंजन कुमार, जिला सचिव जाफर अली जिला संयोजक नीरज रंजन रंजीत सिंह, राजीव रंजन, बिपिन आर्य नौशाद आलम, मनोहर कुमार,शिशिर कुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।