जमुई, यह 2 वर्षीय बच्चा आम बच्चों से अलग है। यह बच्चा किसी दूसरे बच्चे की तरह बैठ नहीं सकता, खड़ा नहीं हो सकता, दौड़ नहीं सकता। यह बच्चा रोज अपनी जिंदगी से जूझ रहा है। यह बच्चा दुर्लभ बीमारी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी टाइप टू’ से जूझ रहा है। बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए माता पिता सहित पूरा परिवार दर दर भटक रहे हैं । इस बच्चे का अब एकमात्र इलाज है, एक इंजेक्शन जिसकी कीमत है 16 करोड।
जमुई जिले के बरहट प्रखंड के नुमर गांव निवासी पुरुषोत्तम सिंह का एक मात्र 2 वर्षीय पुत्र रूद्र कुमार दुर्लभ बीमारी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी टाइप टू’ से पीड़ित हैं। जिसके इलाज के लिए रुद्र के माता पिता एम्स जैसे बड़े संस्थान में चक्कर लगा रहे हैं। बच्चे के इलाज कर रहे एम्स दिल्ली की चाइल्ड न्यूरोलॉजी डिवीजन के चीफ डॉक्टर शेफाली गुलाटी ने बच्चे को बचाने के लिए एकमात्र इंजेक्शन जोलजेस्मा लगाने की सलाह दी है। जिसके बाद बच्चे की जान बचाई जा सकती है। इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ बताया जा रहा है। रूद्र के पिता पुरुषोत्तम सिंह छोटे-मोटे किसान हैं। उनके पास अब अपने बच्चे को बचाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। पुरुषोत्तम सिंह सरकार और आम जनों से आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं। ताकि वे अपने बच्चे की जान बचा सके।इस दुर्लभ बीमारी में बच्चे के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं, परिणाम स्वरूप बच्चे की मौत हो जाती है। 2 वर्षीय रुद्र रोज सुबह उठकर भगवान से प्रार्थना करता है कि उसका दोनों पैर ठीक हो जाए और वह दूसरे बच्चों की तरह दौड़ने लगे। अब इस बच्चे को बचाने की मुहिम में सभी देशवासियों को आगे आना पड़ेगा तभी इस बच्चे की जान बचाई जा सकती है।
बरहट से शशि लाल के साथ धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट