Jamui -क्षेत्र में भूमि विवाद के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने प्रखंड स्तर पर जनता दरबार लगाकर मामलों के निपटारे की जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन को दी है। यह कदम सरकार ने विवादों का समाधान करने के लिए उठाया है।लेकिन जब सरकारी अधिकारियों द्वारा ही अपनी जमीन के विवादों को सुलझाया नहीं जा रहा है, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी। यह सोचने वाली बात है।
मलयपुर स्थित पुलिस लाइन केंद्र में महिला सिपाहियों के लिए एक 300 बैरक भवन के निर्माण के लिए बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम विभाग ने टेंडर जारी किया था। टेंडर पत्रांक संख्या 1262 एल डब्ल्यू ई दिनांक 19 दिसंबर 2024 को जारी किया गया था और इसके लिए विभाग ने 9 करोड़ 37 लाख 70 हजार 318 रुपये की स्वीकृति भी दी थी। इसके बाद संवेदक द्वारा भवन निर्माण कार्य का शुभारंभ किया गया था। हालांकि भवन का निर्माण कार्य एक भी ईंट नहीं जुड़ पाया और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने-अपने विभाग के जमीन होने का दावा किया। बताया जाता है कि निर्माण के लिए 2.50 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी, जो पुलिस विभाग की ज़मीन मानी जा रही थी। लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर कृषि विभाग के एक कर्मचारी ने इस भूमि को कृषि विभाग से संबंधित बताते हुए कार्य रोकने की मांग की। इसके बाद मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता गया। इस विवाद के कारण निर्माण कार्य लगभग 15 दिनों से रुका हुआ है। संवेदक ने पुलिस अधीक्षक से इसकी शिकायत की जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने जिला कृषि पदाधिकारी से मामले पर बातचीत की लेकिन दोनों अधिकारी अपने-अपने विभाग का दावा करते हुए कोई समाधान नहीं निकाल सके।
इस मामले ने न केवल प्रशासनिक स्तर पर अव्यवस्था को उजागर किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि जब प्रशासन अपने ही विवादों को सुलझाने में असमर्थ हो तो जनता को न्याय कैसे मिलेगा।
क्या कहते हैं पुलिस अधीक्षक
इस संबंध में पुलिस अधीक्षक मदन कुमार आनंद ने बताया कि मेरे पदभार ग्रहण करने से पहले उक्त स्थल पर 300 महिला बैरक भवन निर्माण के लिए जमीन का डीमार्केशन किया हुआ था। जिसके बाद भवन निर्माण कार्य शुरू किया गया था। लेकिन अभी निर्माण कर बंद है।
क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी
इस संबंध में कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जिस स्थल पर महिला पुलिस बैरक भवन बनाया जा रहा है, वह जमीन कृषि विभाग का है। वहीं उक्त स्थल पर बरहट प्रखंड का ई कृषि भवन निर्माण कराने के लिए वरिय पदाधिकारी को प्रस्ताव भेजी गई है। इसके बावजूद भी बिना एनओसी लिए हुए काम कराया जा रहा था,जिसे रोका गया।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट