कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए पूरी दुनिया जोर शोर से रिसर्च करने में लगी है. इस पर नए-नए शोध आए दिन पूरे विश्व भर में हो रहे हैं. आयुर्वेद मे भी कोरोना का उपचार के लिए शोध शुरू हो गया हैं. उसी क्रम में आईआईटी दिल्ली के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डी सुंदर ने जापान के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर अश्वगंधा से कोरोना वायरस के लिए इलाज पर रिसर्च किया है. जागरण डॉट कॉम के न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक ,प्रो डी.सुंदर 15 वर्षों से अश्वगंधा पर जापान के इंस्टिट्यूट के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे इस शोधपत्र की पहली रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका जर्नल ऑफ बायोमॉलिक्यूलर डायनामिक्स में प्रकाशित होने की मंजूरी मिल गई है।
अश्वगंधा का एक रसायनिक पदार्थ, कोविड-19 को कोशिकाओं में विकसित होने से रोकने में कारगर हो सकता है। यह किस प्रकार से कोविड-19 की विकसित होने की प्रकिया को रोक सकता है इसकी प्रणाली की रूपरेखा को तैयार किया गया है।
अश्वगंधा से कोविड-19 की दवाई बनाने की दिशा पर होगा काम
दो दिनों में इसके प्रकाशित होने की उम्मीद है। इस शोध को आगे बढ़ाते हुए अश्वगंधा से कोविड-19 की दवाई बनाने की दिशा पर हम काम करेंगे। उन्होंने बताया कि अश्वगंधा से कोविड-19 की दवाई बनाने के लिए कई क्लीनिकल ट्रायल करने की जरूरत है। अत्याधुनिक लैब में इसका ट्रायल होना चाहिए। इस पर भी हम काम रहे हैं.
भारत में पांरपरिक रूप से अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि एक महीने पहले केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय , इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को जोड़ते हुए एक टास्क फोर्स का गठन किया था। इसमें इन्हें कहा गया था कि अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची को पिपाली के साथ, आयुष-64 (मलेरिया की दवाई) जैसी आयुर्वेद औषधियों पर कोविड-19 के संदर्भ में शोध करें।
प्रो डी.सुंदर ने कहा कि हमारी तरफ से स्वतंत्र रूप से अश्वगंधा पर शोध किया गया है। कई अन्य शोधकर्ता कोविड-19 को लेकर हमारे शोध को इस्तेमाल कर सकते हैं।